बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - तृतीय प्रश्नपत्र - सामुदायिक विकास एवं प्रसार प्रबन्धन एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - तृतीय प्रश्नपत्र - सामुदायिक विकास एवं प्रसार प्रबन्धनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - तृतीय प्रश्नपत्र - सामुदायिक विकास एवं प्रसार प्रबन्धन
प्रसार शिक्षा
(Extension Education)
प्रश्न- प्रसार शिक्षा से आप क्या समझते हैं? प्रसार शिक्षा को परिभाषित कीजिए।
उत्तर -
(Meaning of Extension Education)
प्रसार शब्द अंग्रेजी शब्द 'Extension' का हिन्दी रूपान्तर है। Extension शब्द लैटिन भाषा के 'Tensio' शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ खींचना अथवा फैलाना है तथा Ex का अर्थ 'Out' बाहर है अतः प्रसार शिक्षा इस प्रकार की शिक्षा है जो ग्रामों में तथा अन्य जगहों पर स्कूल व कॉलिज की सीमाओं के बाहर फैलाई जाती है, विस्तृत की जाती है जो औपचारिक शिक्षा से हटकर होती है, अतः यह ग्रामीण लोगों की शिक्षा है। जिससे उनका सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास हो। बिना किसी संगठित स्कूल एवं कक्षाओं की सहायता के उपयोगी सूचनाएँ एवं विचारों को ग्रामीण लोगों तथा पहुँचाना ही इसका प्रमुख उद्देश्य है।
प्रसार शिक्षा विद्यालय से बाहर की शिक्षा है जिसका उद्देश्य लोगों को अपने ही प्रयासों से अपनी ही समस्याओं का समाधान करने की शिक्षा है। इसमें प्रौढ़ शिक्षा एवं अनौपचारिक शिक्षा का समावेश होता है। यह शिक्षा सामान्यतः प्रौढ़ स्त्री-पुरुषों, एवं कृषकों को दी जाती है। इस शिक्षा व्यवस्था में हमारा सम्बन्ध प्रौढ़ों एवं युवा वर्ग से उत्तम व्यावसायिक शिक्षा एवं उत्तम गृहिणी बनने हेतु शिक्षा देने से है जो न साक्षरता के माध्यम से और न केवल पुस्तक ज्ञान से दिया जाता है वरन् उत्तम प्रकार की कृषि करना, पशु-पालन, फसल की देख-रेख, उत्तम गृह व्यवस्था, बच्चों का वैज्ञानिक ढंग से पालन-पोषण करना, परिवार के सदस्यों हेतु पोषण युक्त आहार की व्यवस्था करना आदि से सम्बन्धित तकनीकी के स्तर को उच्च करके. विकसित करना है।
प्रसार शिक्षा - प्रसार एवं शिक्षा दो शब्दों से मिलकर बनी है। जब यह दोनों अलग-अलग शब्द मिल जाते हैं तो इनका अर्थ अत्यधिक महत्वपूर्ण हो उठता है विशेषकर आधुनिक गाँवों के सन्दर्भ में। प्रसार शिक्षा का आधार ग्रामीण जीवन है क्योंकि गाँवों के सर्वांगीण विकास हेतु ही इस विषय का प्रतिपादन हुआ है। औद्योगीकरण के कारण विकास की धाराएँ नगर की ओर प्रवाहित होने लगी थीं। जनता का ध्यान कृषि और ग्रामीण उद्योगों से हटकर नगरों की ओर जाने लगा। यह प्रवृत्ति किसी भी देश अथवा राष्ट्र के विकास हेतु घातक समझी जाती है क्योंकि जीवन की प्रमुख आवश्यकता भोजन है जो हमें फैक्ट्री से प्राप्त न होकर खेती से ही प्राप्त होता है। अतः शहरीकरण की ओर आकर्षित होना एक अन्धकारमय भविष्य का प्रतीक है।
स्वतन्त्रता प्राप्ति से पूर्व ऐसी सामुदायिक योजनाओं का प्रादुर्भाव समाज सुधारकों द्वारा किया गया जो ग्रामीण विकास से सम्बन्धित थीं। उनका लक्ष्य ग्रामीण लोगों के जीवन को सुखमय और समृद्ध बनाना था। इन योजनाओं के साथ ऐसी परिकल्पनाएँ जुड़ी थीं जो कृषि के साथ गाँवों से जुड़े अन्य उद्योगों की उन्नति पर आधारित थीं।
ग्रामीण प्रगति के इन्हीं प्रारम्भिक प्रयासों ने आगे चलकर प्रसार शिक्षा या कृषि प्रसार का रूप ग्रहण कर लिया। प्रसार शिक्षा विद्यालयों एवं नियोजित पाठ्यक्रमों के दायरे से बाहर, ऐसी शिक्षण प्रणाली है जो ज्ञानार्जन के साथ-साथ सांस्कृतिक और सामाजिक विकास को भी लक्षित करती है। इसमें अपने ही उद्योग-धन्धों से सम्बन्धित महत्वपूर्ण एवं उपयोगी जानकारियाँ ग्रामीणों को प्राप्त होती हैं और वे उनकी सहायता से अपनी योग्यता और कार्यक्षमता बढ़ाने में सफल हो सकते हैं। वास्तव में प्रसार शिक्षा, शिक्षण के उस पक्ष पर आधारित है, जो व्यक्ति को जीवन भर सीखने की ओर अग्रसर करती है।
(Definitions of Extension Education)
प्रसार शिक्षा की परिभाषा विभिन्न व्यक्तियों ने विभिन्न प्रकार से दी हैं-
(1) श्री कृष्णमाचारी के अनुसार - "प्रसार शिक्षा निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है जिसे इस प्रकार बनाया गया है कि यह गाँव वालों को उनकी समस्याओं के प्रति जाग्रत करती है तथा उन तरीकों तथा रास्तों को दिखाती है जिनकी मदद से वे अपनी समस्याओं का निवारण कर सकें। यह केवल गाँववासियों को अपनी समस्या समझने तथा उनके निवारण के तरीकों को ही नहीं बताती बल्कि उन्हें ऐसी प्रेरणा देती है वे अपने काम को करने के लिये सकारात्मक रवैया अपनाते हैं।"
(2) केलसी तथा हेनरी के अनुसार - "प्रसार शिक्षा को विद्यालय से बाहर उस शिक्षा पद्धति को बताया है जिसमें वयस्क एवं युवा दोनों अपने-अपने कार्य सीखते हैं। इस शिक्षा का मुख्य उद्देश्य लोगों का विकास करना है।"
(3) दहामा के अनुसार - "प्रसार शिक्षा को ग्रामीण समाज को उपयोगी ज्ञान देने की विधि मानते हैं।"
(4) डगलस एस्मिंजर के अनुसार - "प्रसार एक प्रकार की शिक्षा है, जिसका उद्देश्य मनुष्यों के मानसिक दृष्टिकोण और पद्धति में परिवर्तन लाना है, जिसके साथ कार्य किया जाये।"
(5) बाघमरे के अनुसार - "प्रसार शिक्षा स्कूल से बाहर की एक शैक्षिक प्रक्रिया है जिसका लक्ष्य लोगों को उनकी कठिनाइयों के निवारण में और समस्याओं को सुलझाने में साथ ही अपनी मदद खुद करने की जीवन शैली अपनाने में सहायता करती है।"
(6) ओ० पी० दहामा के अनुसार - "प्रसार कार्य वह औपचारिक व अनौपचारिक शिक्षा है जिसका उद्देश्य ग्रामीणों और शहरी लोगों को भी अपने भौतिक, आर्थिक तथा सामाजिक कल्याण में व्यक्तिगत एवं सहकारी प्रयासों के माध्यम से निरन्तर सुधार लाना है। "
(7) रेड्डी के अनुसार - "प्रसार शिक्षा एक विज्ञान है जो लोगों के समग्र एवं सम्मिश्रित व्यवहार में सुनियोजित परिवर्तन लाने की दृष्टि से ज्ञान का निर्माण, स्थानान्तरण और लागू करने के काम से सम्बद्ध है। जिसमें लोग अपने व्यवसाय, संस्था तथा निजी उद्यमों में उन्नत तरीकों को अपनाकर अपने लिए एक बेहतर जीवन को साकार करें।"
(8) एम० सी० बुरिट के अनुसार - "प्रसार शिक्षा के माध्यम से लोगों को अपनी समस्याओं का सही निराकरण करने की शिक्षा प्रदान करना है। उन्हें नवीन कार्यों को करने के लिए उत्साहित करना है तथा ज्ञानार्जन में सहायता प्रदान करना है जिससे वे स्वयं के ज्ञान एवं निर्णय के अनुसार कार्य कर सकें।"
(9) एफ० ए० ओ० के अनुसार - "प्रसार शिक्षा एक अनौपचारिक शिक्षा प्रक्रिया है जो ग्रामीणों को राष्ट्रीय साधनों के बेहतर उपयोग के माध्यम से अपने प्रयास द्वारा अपने रहन-सहन के स्तर को ऊँचा उठाने की शिक्षा देती है।"
(10) डॉ० रंजीत सिंह के अनुसार - "प्रसार शिक्षा एक विज्ञान है जो विभिन्न शैक्षिक विधियों द्वारा सम्बन्धित व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन ला सके जिससे वह अपने प्रयासो द्वारा अपने रहन-सहन के सामान्य स्तर को उन्नत बना सके।"
(11) एच० डब्ल्यू० बट के अनुसार - "हम प्रसार शिक्षा को ग्रामीण जीवन में सुधार लाने के लिये उपयोगी ज्ञान के प्रसार (फैलाव) के रूप में परिभाषित कर सकते हैं।"
(12) ए० टी० मोशर के अनुसार - "कृषि प्रसार एक शिक्षा है जो पाँच प्रकार की समझ का अध्ययन करती है; जैसे-
(a) फसल तथा पशुधन उत्पादन की समझ।
(b) कृषि की व्यवसाय रूप में समझ।
(c) कृषि विकास की समझ।
(d) कृषकों तथा उनकी सीख की समझ।
(e) ग्रामीण समाज की समझ।
(13) लीविस जोनस के अनुसार - "परम्परागत शिक्षण के क्षेत्र से बहुत अधिक विकसित प्रसार शिक्षा की खोज इतनी अनूठी है कि इसे बहुत कम लोग समझ पाये हैं यहाँ तक कि शिक्षा की मुख्य धारा ने इसकी ओर को ध्यान ही नहीं दिया।"
(14) सूपे के अनुसार - "प्रसार शिक्षा ग्रामीणों के सामाजिक तथा सांस्कृतिक विकास के लिये एक नियमित संगठित पाठशाला तथा कक्षा (कमरे) से बाहर दी जाने वाली शिक्षा है।"
प्रसार शिक्षा के विभिन्न विद्वानों द्वारा प्रस्तुत परिभाषाओं का विश्लेषणात्मक अध्ययन करने से यह स्पष्ट होता है कि प्रसार शिक्षा की एक विशेष पद्धति है। यह एक 'कार्यक्रम तथा 'पद्धति' है क्योंकि पद्धति (Process) से अभिप्राय "To Proceed" अर्थात् धीरे-धीरे आगे बढ़ना है। मानव जीवन को सुखी, समृद्ध एवं सफल बनाना, जिससे उसका जीवन-स्तर ऊँचा उठ सके, ही प्रसार का लक्ष्य है। प्रसार शिक्षा किसी एक व्यक्ति विशेष के शिक्षण पर विश्वास नहीं करती है वरन् सामूहिक शिक्षण को परिलक्षित करती है। यह गैर संस्थापक एवं अनौपचारिक शिक्षा पद्धति है। यह विद्यालय के बाहर की शिक्षा पद्धति है। इसमें "करो और सीखो" (do and learn) या करने के माध्यम से सीखना (learning by doing) की विधि से शिक्षा दी जाती है एवं शिक्षा ग्रहण की जाती है। प्रसार शिक्षा पद्धति जनजीवन विशेष रूप से ग्रामीण जनजीवन में विकासात्मक परिवर्तन लाने की पद्धति है।
प्रसार शिक्षा एक दो तरफा प्रक्रिया (a two way process) है, क्योंकि इसमें सम्बद्ध वैज्ञानिक ज्ञात्र उन लोगों तक पहुँचाया जाता है जिन्हें जहाँ उसकी जरूरत है। साथ ही जिन क्षेत्रों में समस्याएँ हैं उन्हें वहाँ पहुँचाया जाता है, जहाँ वैज्ञानिक शोध एवं अनुसंधानकर्ता प्रयोग, परीक्षण एवं अनुसंधान के द्वारा समस्याओं का सहज स्वीकार्य समाधानार्थ निष्कर्ष निकालते हैं।
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- प्रश्न- प्रसार शिक्षा से आप क्या समझते हैं? प्रसार शिक्षा को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा का क्षेत्र समझाइए।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा से आप क्या समझते हैं? गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का क्षेत्र समझाइये।
- प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के उद्देश्यों का विस्तार से वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा की विशेषताएँ समझाइये।
- प्रश्न- ग्रामीण विकास में गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का महत्व समझाइये।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा, शिक्षण पद्धतियों को प्रभावित करने वाले प्रमुख तत्वों का वर्णन करो।
- प्रश्न- प्रसार कार्यकर्त्ता की भूमिका तथा गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दृश्य-श्रव्य साधन क्या हैं? प्रसार शिक्षा में दृश्य-श्रव्य साधन की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सीखने और प्रशिक्षण की विधियाँ बताइए। प्रसार शिक्षण सीखने और प्रशिक्षण की कितनी विधियाँ हैं?
- प्रश्न- अधिगम या सीखने की प्रक्रिया में मीडिया की भूमिका बताइये।
- प्रश्न- अधिगम की परिभाषा देते हुए प्रसार अधिगम का महत्व बताइए।
- प्रश्न- प्रशिक्षण के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- प्रसार कार्यकर्त्ता के प्रमुख गुण (विशेषताएँ) बताइये।
- प्रश्न- दृश्य-श्रव्य साधनों के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा के मूल तत्व बताओं।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा के अर्थ एवं आवश्यकता की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- श्रव्य दृश्य साधन क्या होते हैं? इनकी सीमाएँ बताइए।
- प्रश्न- चार्ट और पोस्टर में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- शिक्षण अधिगम अथवा सीखने और प्रशिक्षण की प्रक्रिया को समझाइए।
- प्रश्न- सीखने की विधियाँ बताइए।
- प्रश्न- समेकित बाल विकास सेवा (ICDS) कार्यक्रम को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- महिला सशक्तिकरण से आपका क्या तात्पर्य है? भारत में महिला सशक्तिकरण हेतु क्या प्रयास किए जा रहे हैं?
- प्रश्न- स्वच्छ भारत अभियान की विस्तारपूर्वक विवेचना कीजिए। इस अभियान के उद्देश्यों का उल्लेख करें।
- प्रश्न- 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' योजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उज्जवला योजना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वच्छ भारत अभियान घर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में राष्ट्रीय विस्तारप्रणाली की रूपरेखा को विस्तारपूर्वक समझाइए।
- प्रश्न- स्वयं सहायता समूह पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- स्वच्छ भारत अभियान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- उज्जवला योजना के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- नारी शक्ति पुरस्कार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रधानमंत्री मातृ वन्दना योजना क्या है? इसके लाभ बताइए।
- प्रश्न- श्रीनिकेतन कार्यक्रम के लक्ष्य क्या-क्या थे? संक्षिप्त में समझाइए।
- प्रश्न- भारत में प्रसार शिक्षा का विस्तार किस प्रकार हुआ? संक्षिप्त में बताइए।
- प्रश्न- महात्मा गाँधी के रचनात्मक कार्यक्रम के लक्ष्य क्या-क्या थे?
- प्रश्न- सेवा (SEWA) के कार्यों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कल्याणकारी कार्यक्रम का अर्थ बताइये। ग्रामीण महिलाओं और बच्चों के लिए बनाये गए कल्याणकारी कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामुदायिक विकास कार्यक्रम की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना का क्षेत्र एवं उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के उद्देश्यों को विस्तारपूर्वक समझाइए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास एवं प्रसार शिक्षा के अन्तर्सम्बन्ध की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास की विधियों को समझाइये।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यकर्त्ता की विशेषताएँ एवं कार्य समझाइये।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना संगठन को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम को परिभाषित कीजिए एवं उसके सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समुदाय के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास की विशेषताएँ बताओ।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास के मूल तत्व क्या हैं?
- प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना के अन्तर्गत ग्राम कल्याण हेतु कौन से कार्यक्रम चलाने की व्यवस्था है?
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम की सफलता हेतु सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना की विशेषताएँ बताओ।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास के सिद्धान्त बताओ।
- प्रश्न- सामुदायिक संगठन की आवश्यकता क्यों है?
- प्रश्न- कार्यक्रम नियोजन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है?
- प्रश्न- प्रसार प्रबन्धन की परिभाषा, प्रकृति, सिद्धान्त, कार्य क्षेत्र और आवश्यकता बताइए।
- प्रश्न- नेतृत्व क्या है? नेतृत्व की परिभाषाएँ दीजिए।
- प्रश्न- नेतृत्व के प्रकार बताइए। एक नेता में कौन-कौन से गुण होने चाहिए?
- प्रश्न- प्रबंध के कार्यों को संक्षेप में समझाइए।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा या विस्तार शिक्षा (Extension education) से आप क्या समझते है, समझाइए।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा व प्रबंधन का सम्बन्ध बताइये।
- प्रश्न- विस्तार प्रबन्धन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- विस्तार प्रबन्धन की विशेषताओं को संक्षिप्त में समझाइए।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा या विस्तार शिक्षा की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
- प्रश्न- विस्तार शिक्षा के महत्व को समझाइए।
- प्रश्न- विस्तार शिक्षा तथा विस्तार प्रबंध में क्या अन्तर है?